CG Yuktiyuktakaran: रायपुर। डीपीआई के बार-बार चेतावनी और यह जानते हुए भी कि स्कूल शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री के पास है, विभाग के भ्रष्ट बीईओ, डीईओ और जेडी अफसरों ने युक्तियुक्तकरण के नाम पर लूट की दुकान खोल डाली है। पूरे प्रदेश से इसमें व्यापक भ्रष्टाचार की खबरें आ रही है। शिक्षक त्राहि माम कर रहे हैं। अतिशेष सूची से नाम निकालने के नाम पर बीईओ, डीईओ द्वारा एक से डेढ़ लाख रुपए लिए जा रहे हैं। अतिशेष में हुई भारी गल्तियां इसकी चुगली कर रही है। जाहिर है, मैन्यूली काम होने पर लिस्ट में त्रुटियां हो सकती है मगर कंप्यूटर से लिस्ट से एक्सेल शीट में निकलने पर कतई ऐसा संभव नहीं कि सीनियर नीचे आ जाए और जूनियर उपर।
डीपीआई ऑफिस की गलतियां
स्कूल शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण के जो नियम बनाए, उसमें कई चीजें क्लियर नहीं की गई। दावा-आपत्ति मंगाने का प्रावधान नहीं किया गया। और न ही गंभीर बीमारी का कोई उल्लेख है। इसका नतीजा यह हुआ कि कुछ जिलों ने दावा-आपत्ति मंगाई मगर बाकी जिलों ने सीधे लिस्ट जारी कर दी। अधिकांश जिलों में काउंसलिंग के एक दिन पहले या कुछ घंटे पहले अतिशेष की लिस्ट जारी की।
सारंगढ़ में कमाल
सारंगढ़ के डीईओ ने पुराने शिक्षकों को फायदा पहुंचाने जिन शिक्षकों का प्रोबेशन पूरा हो गया था, उन्हें रेगुलर नहीं किया। ताकि, पुराने शिक्षकों को लाभ पहुंचाया जा सके। अफसरों ने भी इस पर हाथ झाड़ लिया। मगर कल विधायक उत्तरी जांगड़े डीईओ ऑफिस में जाकर बैठ गई, तब जाकर अतिशेष सूची को चेंज किया गया।
व्यापक गड़बड़ियां
डीपीआई ने कहा था कि कैमरे की निगरानी में काउंसलिंग करनी है। मगर जब अतिशेष सूची में ही बीईओ और डीईओ खेल कर चुके हैं तो फिर कैमरा क्या कर लेगा। स्कूल शिक्षा विभाग के खटराल बीईओ और डीईओ पैसा लेकर अतिशेष लिस्ट में ही कमाल कर दिए थे। कहीं पर सीनियर शिक्षकों को बचा लिया गया, कहीं जूनियरों पर मेहरबानी बरपा दी गई। पैसा बोलता है…के तर्ज पर अतिशेष सूची तैयार करने में खेल किया गया।
युक्तियुक्तकरण के बाद कार्रवाई
स्कूल शिक्षा विभाग के सूत्रों से पता चला है कि युक्तियुक्तकरण के बाद कुछ बीईओ और डीईओ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। कुछ निलंबित भी किए जा सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि अभी सस्पेंड करने से युक्तियुक्तरण बाधित होगा। इसलिए युक्तियुक्तकरण के बाद सरकार पूरे मामले की जांच कराएगी। क्योंकि, अतिशेष सूची के घोटालों की खबरें जनप्रतिनिधियों के जरिये सरकार तक भी पहुंच गई है। कई विधायकों ने सरकार से इसकी शिकायत की है कि बीईओ, डीईओ युक्तियुक्तकरण के नाम पर तबाही मचा दिया है।