इस साल मध्यप्रदेश के 1.23 लाख बीए, बीकॉम और बीएससी फाइनल ईयर के छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ उद्योगों में काम करने मौका भी मिलेगा। उच्च शिक्षा विभाग ने छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते विभिन्न उद्योगों से संपर्क कर इंटर्नशिप के अवसर उपलब्ध करवाए हैं, जिससे छात्रों को न केवल कार्य अनुभव मिलेगा बल्कि वेतन भी दिया जाएगा।
इसके अलावा छात्रों को डिजीटल मार्केटिंग, वेब डिजाइनिंग, पोषण और आहार विज्ञान, जैविक खेती, एग्रो मार्केटिंग और व्यक्तित्व विकास जैसे प्रगतिशील और रोजगारोन्मुख क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। बता दें कि इस साल उच्च शिक्षा विभाग ने 35 नए वोकेशनल कोर्स शुरू किए थे, जिनमें 1.23 लाख छात्रों ने प्रवेश लिया है। विभाग ने रोजगार से जोड़ने और बेहतर प्लेसमेंट के लिए यह कोर्स शुरू किए थे।
डिग्री के साथ 10 क्रेडिट अंक और अनुभव भी
योजना के अनुसार तीन वर्षीय डिग्री प्रोग्राम के छात्रों को कम से कम एक और अधिकतम तीन सेमेस्टर तक इंडस्ट्री में प्रशिक्षण लेना होगा। वहीं चार वर्षीय डिग्री करने वालों को दो से चार सेमेस्टर तक अप्रेंटिसशिप करनी होगी। इस दौरान छात्रों को क्रेडिट अंक दिए जाएंगे, जो उनकी डिग्री में शामिल होंगे।
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ट्रिपल एग्रीमेंट मॉडल से सीधा इंडस्ट्री कनेक्शन
इस योजना को सफल बनाने के लिए ट्रिपल एग्रीमेंट की व्यवस्था की गई है जिसमें छात्र, कॉलेज और इंडस्ट्री के बीच आपसी समझौता होगा। कॉलेज छात्रों को कंपनियों से जोड़ेंगे और ट्रेनिंग देंगी।
क्या होगा फायदा
● छात्रों को पढ़ाई के साथ नौकरी की तैयारी भी होगी।
● वास्तविक कार्य अनुभव से आत्मविश्वास बढ़ेगा।
● रोजगार मिलने की संभावनाएं कई गुना बढ़ेंगी।
● छात्रों को इंडस्ट्री की जरूरतों की बेहतर समझ होगी।
इन कोर्स में सबसे अधिक प्रवेश
● व्यक्तित्व विकास- 1 लाख 88 हजार 221
● जैविक खेती- 82 हजार 465
● पोषण और आहार विज्ञान-19021
● डिजीटल मार्केटिंग- 15768
● वेब डिजाइनिंग- 11403
● पर्यटन- 8283
इनमें 20 छात्र भी नहीं
● पोल्टी मैनेजमेंट- 4
● प्लान्ट डिजीसेस- 5
● आतिथ्य प्रबंधन- 10
● एग्रो मार्केटिंग- 14
● मृदा विज्ञान एवं उर्वरक- 18
डिग्री कोर्स करने वाले विद्यार्थियों को रोजगार से जोडऩे के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 35 वोकेशनल कोर्स शुरू किए हैं। इन कोर्स के हिसाब से फाइनल ईयर के छात्र-छात्राओं को अप्रेंटिसशिप का मौका मिलेगा। इसके लिए विभिन्न इंडस्टी से संपर्क किया जा रहा है। डॉ. धीरेंद्र शुक्ल, ओएसडी, उच्च शिक्षा विभाग